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शुक्रवार, 25 जून 2021

जानिए कानूनी प्रावधान क्या है ट्रांजिट रिमांड के बारे में (Transit Remand)

जानिए कानूनी प्रावधान क्या है ट्रांजिट रिमांड के बारे में (Transit Remand)

इस लेख में हम आपको ट्रांजिट रिमांड क्या है और न्यायालय द्वारा ट्रांजिट रिमांड कब दिया जाता है संबंधित जानकारी देंगे रिमांड को हम हिंदी में हिरासत कहते हैं जोकि दंड प्रक्रिया संहिता 1976 के अंतर्गत प्राप्त होती है धारा 41 के अंतर्गत पुलिस कब किस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है इसके बारे में बताया गया है कई बार ऐसा भी होता है की पुलिस कई ऐसे मामलों में आपको बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है ।

जब भी कोई व्यक्ति न्यायालय द्वारा वारंट पर गिरफ्तार किया जाता है या बिना वारंट के भी गिरफ्तार किया जाता है तो उस व्यक्ति को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 57 और 76 के अंतर्गत 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेस करना जरूरी होता है जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है यह पुलिस उसे 24 घंटे से अधिक रखती है हिरासत में और निकटतम मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं करती उस व्यक्ति की अभिरक्षा के विरुद्ध माना जाएगा ।

केंद्रीय जांच ब्यूरो बनाम किशोर सिंह

उच्चतम न्यायालय 2010 के मामले पुलिस थाने के बाहर साधन अधिकारी ने गिरफ्तार के व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके जानबूझकर 3 दिनों तक लॉकअप में रखा और यातनाएं उस व्यक्ति को दी उच्चतम न्यायालय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कुछ संबंधित दोषी पुलिस अधिकारी से दंड प्रक्रिया संहिता धारा 342 के उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए आदेश पारित किया।

 एक व्यक्ति को साधारण विधि के अंतर्गत गिरफ्तार किया जाए तो उसे संविधान के अनुच्छेद 22 के अंतर्गत मूल अधिकार प्राप्त होते हैं लेकिन यदि गिरफ्तार व्यक्ति साधारण विधि के अंतर्गत नहीं किया गया तो उसे मूल अधिकार प्राप्त नहीं होते ।

कई बार ऐसी स्थिति होती है कि जब अपराधी अपराध करके किसी और थाना क्षेत्र में पकड़ा जाता है तो उस स्थिति में संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालय में पेश करना संभव नहीं होता जैसे कि उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार किया गया बस जो चैन कानपुर में थाना थाना क्षेत्र के अंतर्गत दर्ज किया गया है इस पर स्थित में ट्रांजिट रिमांड की अवधारणा पर काम किया जाता है जिसमें जो व्यक्ति गिरफ्तार किया गया उसे 24 घंटे के भीतर ही संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश कर देती है जब व्यक्ति को उच्च न्यायालय में पेश किया जाता है कि न्यायालय का मजिस्ट्रेट पेश किए गए व्यक्ति के संदर्भ में पुलिस से जानकारी लेकर पेश किए व्यक्ति को ट्रांजिट रिमांड पर पुलिस हिरासत में सौंप देता



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