Law Gyata

Get Solution for Every Problem

मंगलवार, 29 जून 2021

आखिर क्या है यू ए पी ए ( UAPA ) कानून क्यों है इसे लेकर विवाद ( गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम )

आखिर क्या है यू ए पी ए ( UAPA ) कानून क्यों है इसे लेकर विवाद ( गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम )

 यूएपीए (U A P A)  कानून एक बार फिर चर्चे में चल रहा है।  देश में राजनीतिक माहौल इस कानून को लेकर हर समय आमने सामने खड़े  रहते हैं । जब भी यूएपीए कानून के तहत अगर किसी की गिरफ्तारी होती है, तो हर समय इस को लेकर बवाल मचा रहता है। अभी हाल में ही दिल्ली के किसान आंदोलन में 26 जनवरी को जो ट्रैक्टर रैली के दौरान झड़प हुई और कुछ लोगों ने ट्वीट पर विवादित ट्वीट करके लोगों को भड़काया। उन लोगों को इस कानून के तहत ही गिरफ्तार किया गया था । आपको बता दें कि यह कानून कोई नया कानून नहीं है।

 चलिए आज हम जानते हैं यू ए प ए  कानून क्या है और क्यों राजनीतिक गलियारों में इसके लिए विवाद हो रहा है 

भारतीय संसद में 1967 ( अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट)  यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम को बनाया था। इस कानून में कई बार बदलाव किए गए जैसे कि 2004 में, 2008 में , 2012 में और 2019 में,  लेकिन अभी तक 2019 के बदलाव में सबसे कठोर प्रावधान जोड़े गए । जिसके बाद उसके ऊपर सवाल उठना चालू हो गया । कुछ विपक्षी दल और मानवाधिकार के कार्यकर्ता इस कानून को लेकर उनका यह मानना है कि,  यह लोकतंत्र के खिलाफ है।  कुछ इसके समर्थन करने वाले लोगो का मानना यह है कि यह कानून आतंकवाद के खिलाफ है और  देश की एकजुटता  और अखंडता को मजबूती प्रदान करता है । 

इस संशोधन में सबसे महत्वपूर्ण संशोधन यह हुआ कि, इस कानून के तहत सरकार किसी संगठन या संस्थान और किसी भी व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित कर सकती है। यह संशोधन इसलिए किया गया कि आतंकवाद के नेटवर्क को पूरी तरह से तोड़ने के लिए किया गया है।  इस संशोधन के पहले किसी आतंकी संगठन या संस्थानों पर प्रतिबंध तो लगाया जा रहा था।  लेकिन उनके संचालक या उनके सदस्य इस कानून से बच जा रहे थे। लेकिन अब इस नए संशोधन के बाद संस्थान  पर बैन तो लगेगा ही लगेगा उनके संचालक और सदस्य के ऊपर भी बैन और गिरफ्तारी किया जा सकेगा। जब तक यह कानून नहीं था , इन संस्थानों के संचालक या सदस्य एक नया संगठन बना लेते थे, पुराने संगठन पर बैन लगने के बाद।  इस संशोधन के बाद उस संस्थान से संबंधित या जुड़ाव रखने वाले संचालक सदस्य के ऊपर प्रतिबंध तो लगए गा ही और इसके माध्यम से सुरक्षा एजेंसियां,  जिन व्यक्तियों के ऊपर शक होता है,  उन्हें आतंकी घोषित कर सकती हैं।

 विवाद का मुख्य कारण 

विवाद का मुख्य कारण यह है कि, इसमें जो कहा गया है कि किसी पर शक होने पर उसे आतंकवादी घोषित कर दिया जाएगा। प्रथम दृष्टया मैं दोषी दिखाई देता है, तो उस व्यक्ति को जो आतंकी संगठन से सीधा संबंध रखता है या अप्रत्यक्ष संबंध रखता है,  दोनों ही स्थिति में उस व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर दिया जा सकता है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है, तो उसे हटवाने के लिए पुन विचार समिति के पास आवेदन करना पड़ेगा।  लेकिन वह व्यक्ति बाद में अदालत में जाकर अपील कर सकता है।

कानून से डर कैसा

 इस कानून को लेकर विपक्षी दल और मानवाधिकार के सदस्य बहुत बड़ी मात्रा विरोध कर रहे हैं। उन लोगों को लगता है कि इस कानून के द्वारा उन लोगों को चुप कराया जा सकता है।  इस कानून के तहत सरकार नाजायज और मनमानी ढंग से इस्तेमाल करेगी।  जिससे संविधान के अनुच्छेद 19(1)  से मिले अधिकारों का उल्लंघन होगा । इसके विरोध करने वालों का यह मानना है कि,  सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले व्यक्तियों, पत्रकारों, संस्थाओं, वकीलों, विपक्षी दल के खिलाफ यह कानून का प्रयोग किया जा सकता है।

 सरकारी दुरुपयोग की चिंता

यू ए पी ए कानून के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों पर भेदभाव करने का भी आरोप सरकार के ऊपर लगे हुए हैं । इस कानून का उपयोग अभी हाल में दिल्ली में जो ट्रैक्टर रैली और जम्मू कश्मीर में की गई गिरप्तारी है। जिसकी वजह से इस के द्वारा हुई गिरफ्तारी पर यह सवाल उठते रहे हैं कि सियासी कार्रवाई की गई है।

यह है कठोर प्रावधान

 यूएपीए कानून के धारा 43D(2), के अनुसार पुलिस गिरफ्तारी के समय को 2 गुना तक बढ़ा सकती है । इस कानून के तहत 30 दिन की पुलिस हिरासत मिल सकती है और न्यायिक हिरासत 90 दिन तक की हो सकती है। लेकिन अन्य कानून के तहत यह गिरफ्तारी केवल 7 दिन की होती है।  यदि इस कानून के तहत कोई गिरप्तार किया जाता है, तो उस व्यक्ति को अग्रिम जमानत नहीं मिलती है । इस कानून की धारा 43D (5) के अनुसार यदि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को प्रथम दृष्टया दोषी पाया जाता है , तो उसे अदालत से भी जमानत नहीं मिल सकती इस कानून के तहत 7 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान है।  इतना ही नहीं इस कानून के तहत आरोपी की संपत्ति को भी जब्त  किया जा सकता है।

यूएपीए एक्ट इन हिंदी, यूपीएस फुल फॉर्म,  यूपी इन हिंदी यूपी 2019, यूएपीए अधिनियम 2019 पीडीएफ

 यूएपीए इन हिंदी विकीपीडिया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें