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सोमवार, 14 दिसंबर 2020

MSP kya hai? न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है? Minimum Support Price

 MSP kya hai? न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?
(Minimum Support Price)


आज कल भारत का मुख्य खबर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ही है जिसके लिए हमारे अन्नदाता खाली पेट और ठंड में कई दिनों से सड़कों पर आंदोलन कर रहा है।

अभी हाल में किसान के मुद्दों पर बात करने के लिए सरकार और किसान संगठनों से बात चीत चल रही है लेकिन इसका कोई निष्कर्ष नही निकल पा रहा है।

किसानो का मानना है कि जो तीन किसान बिल भारत सरकार लाई है। इस बिल से न्युनतम समर्थन मूल्य जैसे स्कीम को बंद कर दिया जाएगा। जबकि भारत सरकार बार बार यह समझा रही है कि इन तीनो बिलो से चल रहे कानूनों पर कोई असर नही होगा बल्कि किसानों को लाभ ही होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी जैसे पहले था उसी प्रकार चलता रहेगा।

आज हम आप को MSP के बारे में पूरी जानकारी देंगे कि MSP क्या होता है ? इससे किसान को लाभ है या नही? और इसे किस प्रकार तय किया जाता है उसको भी देखेगे।




न्यूनतम समर्थन मूल्य (What is Minimum support price)


MSP का पूरा नाम मिनिमम सपोर्ट प्राइस और इए हिंदी भाषा मे न्यूनतम सर्मथन मूल्य कहते है । इस स्कीम के तहत भारत सरकार किसान की कुछ फसलो के मूल्यों पर खरीद करने की गारंटी दिया जाता है। अभी हाल में covid-19 में जो laockdowne भारत सरकार ने किया था उस दौरान भारत सरकार गरीबो और मजदूरों के लिए फ्री में अनाज दिया था वो सब अनाज इसी स्कीम के तहत खरीद गया था।

इस स्कीम के तहत यदि अनाज का मूल्य कम भी हो जाये तब भी भारत सरकार जो मूल्य तय किया होता है उसी मुल्य पर किसानों से ख़रीदती है। इससे यह फायदा होता है कि किसान को पता रहता है कि उनके अनाज का मूल्य क्या है और बाजार के उतार और चढ़ाव का कोई फर्क किसानों पर नही पड़ता जिससे किसान तनाव मुक्त रहता है जबकि उसकी फसल का दम कितना भी ऊपर या नीचे चल रहा हो। इतना ही नही किसान यह भी तय कर सकता है कि वो अपनी फसल सरकार को बचे या मंडी में इसका अधिकार भी किसानों के पास ही रहता है।


कौन तय करता है MSP 


किसान की फसलो के मूल्य कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा निर्धारित किया जाता है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग सभी अनाजो का मूल्य निर्धारण करता है लेकिन गन्ना को छोड़ कर क्योंकि गन्ना का मूल्य गन्ना आयोग तय करता है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हर फसल के समय के अनुसार फसलो की लागत को ध्यान में रख कर फसलो का मूल्य भारत सरकार को सुझाव के रूप में देती है जिसपर सरकार उस मूल्यों पर विचार विमर्श कर के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है।

किन फसलों का तय होता है एमएसपी (MSP for Crops)


हमने आप से यह बताया कि MSP क्या है, इसे कौन तय करता है अब हमें यह भी पता होना चाहिए कि MSP स्कीम किन फसलो पर लागू होता है यह भी जरूरी है तो चलिए जानते है कि किन किन फसलो को इस स्कीम में रखा गया है । रबी और खरीफ वाली फसलों का ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण प्रत्येक साल सीजन की फसल के बुआई के पहले ही मूल्य तय की जाती है।

अभी सरकार 23 फसलो का ही MSP निर्धारित करती है।
जिनमे से अनाज की 7 फसल
दलहन की 5
तिलहन की 7 और
कामर्सियल की 4 फसल है

हम आप को कुछ फसलो की सूची दे रहे है जिनके मूल्य भारत सरकार तय करती है जैसे गेहू, धान, गन्ना, सरसो, अरहर की दाल, बाजरा, मूंग, उड़द, मसूर, कपास, सोयाबीन, जुट,मक्का,जौ, चना,सूरजमुखी।

एमएसपी का फायदा (Benefits of MSP)


MSP निर्धारित करने का लाभ किसानों को फसल के मूल्यों में गिरावट होने पर भी कोई असर नही होता है। इतना ही नही किसानों को यह संतुष्टि रहती है कि भारत सरकार फसलो की सही कीमत जरूर देगी चाहे जितना फसल कीमत गिर जाए।
 

एमएसपी तय करने का फार्मूला (MSP formula)


कृषि सुधार के लिए भारत सरकार ने 2004 में स्वामीनाथन आयोग बनाया था। स्वामीनाथन आयोग ने कई सारे तरीको को बताया है और इस बात पर जोर दिया है कि MSP औसत उत्पादन लागत का लगभग 50 प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए।

नाथन आयोग की बातों को ध्यान में रखते हुए आज की मोदी सरकार ने 2018-19 की बजट में उत्पादन लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य रखने की घोषणा किया।

कैसे होती है किसानों से खरीद (Crop Procurement)


हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के फसल बुआई से पहले तय किया जाता है। कई बार तो ऐसा भी होता है कि किसान नन्यूनतम समर्थन मूल्य को देख कर ही फसल का चुनाव करता है।

सरकार किसानों से कई माध्यम से फसल की खरीदारी करती है जिसमे कई सारी एजेंसियां भी जुड़ी होती है।
सरकार MSP पर किसानों से खरीद कर बफर स्टॉक के रूप में रखती है और FCI और NFD के पास यह अनाज को एकत्रित करते है। भारत सरकार इस अनाज को भारत के गरीब लोगों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से बाँट देती है।

इसी के माध्यम से सरकार अनाज के मूल्यों पर अपना नियंत्रण बनाये रखती है क्यों कि कई बार ऐसा होता है कि किसी अनाज के मूल्यों में अधिक बढ़ोत्तरी हो जाने पर सरकार अपने स्टॉक में से अनाज निकल कर बाजार में निकल देती है । जिससे मूल्यों पर सरकार का पूरा नियंत्रण रहता है।

MSP सिस्टम की दिक्कत


इस स्कीम का सबसे दिक्कत वाली बात यहहै की किसानों की फसल की लागत तय करना जो कि बहुत मुश्किल काम है। इतना ही नही कई सारे छोटे किसान इस स्कीम से वंचित है और विचौलिया इस बात का फायदा उठता है और किसानों से खरीद कर MSP पर बेच कर अच्छा मुनाफा करता है। MSP स्कीम के तहत कई सारे फसल को नही जोड़ा गया है जिससे इस स्कीम का पूरा फायदा नही मिल पाता है।

केरल में सब्जियों का भी एमएसपी (Vegetables MSP)


अभी तक केरल पहला राज्य है जो सब्जियों के लिए बी MSP का निर्धारण किया है। इसके तहत MSP को तय करने का फॉर्मूला है कि उत्पादन लागत से 20 प्रतिशत ज्यादा होगा। इसके तहत अभी केवल 16 प्रकार की सब्जियों को ही रखा है।
 

हरियाणा भी केरल की राह पर


हरियाणा की सरकार भी इस सब्जियों के MSP तय करने पर विचार कर रही है जो कि हरियाणा सरकार ने अभी लोगो से सुझाव मांगे है और सर्वे भी कराया जा रहा है।



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