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बुधवार, 11 मार्च 2020

मानहानि कानून क्या है और कब हम मानहानि का केस कर सकते है?

 


मानहानि कानून क्या है और कब हम मानहानि का केस कर सकते है?


मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जिसे समाज मे मान सम्मान, प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास करता रहता है। यदि कोई व्यक्ति किसी के मान सम्मान और इज्जत पर प्रहार करता है तो यह उस व्यक्ति के लिए मानसिक पीड़ा देना है। व्यक्ति को अपने मान सम्मान , प्रतिष्ठा, इज्जत को बचाने के लिए हमारे भारतीय संविधान में अधिकार मिला है जिसे हम मानहानि कानून के नाम से जानते है, जिसका उपयोग व्यक्ति अपने सम्मान को बचाने के लिए कर सकता है। 

चलिए मानहानि के कानून के बारे में जानते है। मानहानि कानून में व्यक्ति की मान सम्मान, इज्जत और प्रतिष्ठा का अधिकार है। मानहानि कानून संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत स्वतंत्रत भाषण का मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है जो आज कल  मानहानि कानून का उपयोग व्यक्ति के भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए किया जा रहा है |


मानहानि कानून का वर्तमान स्तिथि

भारत मे मानहानि दीवानी और फौजदारी कानून के तहत कार्यवाही होती है। जिसमे दीवानी क़ानून के तहत अपमानित व्यक्ति न्यायालय में जा कर अपने अपमान को साबित कर सकता है और अपमान करने वाले व्यक्ति से मुआवजा प्राप्त कर सकता है।


आपराधिक मानहानि क्या है?


I P C  की धाराएं 499 से 502 मानहानि के बारे में बताता है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को बेइज्जती करता है तो वह अपमानित व्यक्ति उस व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज करा सकता है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 500 के तहत अपमानित करने वाले व्यक्ति को दो साल की सजा का प्रावधान है। मानहानि   केवल व्यक्ति के खिलाफ ही नही, राष्ट्र और समुदाय के खिलाफ भी किया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत के अनुसार मानहानि-

“जो कोई बोले गए या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या चित्रों  द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि की जाए, या यह जानते हुए या विशवास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से उस व्यक्ति की अपहानि होगी, सिवाय अपवादों के, तो वह व्यक्ति मानहानि करता है|”

यदि व्यक्ति के द्वारा दिया गया बयान या उसके द्वारा प्रकाशित लेख इन अपवाद में आते है तो यहां पर मानहानि का दावा नही किया जा सकता है।|

अपवाद:

अपवाद 1 : सच्ची बात को बताना जो देश के और आम लोगो के हित के लिए है तो यह मानहानि नही माना जाएगा।

अपवाद 2 :किसी न्यायालय के आदेश या उसके कार्यवाहीयो को प्रकाशित करना वह मानहानि नही माना जायेगा।

अपवाद 3: किसी अन्य व्यक्ति के ऊपर विधि-पूर्वक प्राधिकार रखने वाले व्यक्ति द्वारा सदभावपूर्वक (in good faith)  की गयी परिनिन्दा मानहानि नहीं है|

अपवाद 4: प्राधिकृत (authorised) व्यक्ति के समक्ष सदभावपूर्वक (in good faith) अभियोग लगाना मानहानि नहीं है |

अपवाद 5: अपने या अन्य व्यक्ति के हितों की सुरक्षा के लिए  किसी व्यक्ति द्वारा सदभावपूर्वक लगाया आरोप मानहानि नहीं है |

अपवाद 6 : सावधानी जो व्यक्ति की भलाई के लिए दी गई है वह मानहानि नहीं है |

मानहानि का दावा पेश करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातो का होना जरूरी है|


1. अपमान जनक शब्दों या बयान का होना जरूरी है ।

2. अपमानित करने का मकसद होना चाहिए ।

3. दिया गया बयान या टिप्पणी किसी और व्यक्ति को भी पता होना आवश्यक है यदि कोई व्यक्ति ,  किसी व्यक्ति के बारे में कहता है जो उसके मान सम्मान को ठेस पहुँचता है परन्तु यह केवल आपस मे ही होता है ना कि किसी दूसरे व्यक्ति के सामने तो यह पर मानहानि का केस नही बनता है। 


प्रकाशन (Publication)

प्रकाशन मानहानि करने का एक महत्वपूर्ण साधन है, जिसके द्वारा व्यक्ति के बारे में अपमान जनक बयान , टिप्पणी, लेख और फ़ोटो का पता चलता है। जिसे के कारण व्यक्ति को अपमानित होने का एहसास होता है।

आशय (Intention)

भारतीय दंड संहिता की धारा 499  यह स्पष्ट करती है कि आपराधिक मानहानि का दावा करने के लिए दूसरे व्यक्ति  को अपमानित करने का मकसद (intention) होना चाहिए | यहाँ आशय का मतलब यह है कि अपमानित करने वाला व्यक्ति जान-बूझ कर आपत्ति जनक बयान या टिप्पणी कर रहा है।

मानहानि के प्रकार


मानहानि दो प्रकार का होता है पहला मौखिक और दूसरा लिखित मानहानि

जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर किसी भी व्यक्ति के बारे में अपमान जनक बयान या टिप्पणी करता है जिसके कारण व्यक्ति के मान सम्मान में हानि होती है तो इसे मौखिक मानहानि कहते है।

यदि व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के बारे में अपशब्द या आपत्तिजनक बाते लिखता है या चित्रण द्वारा दर्शाता है जिससे व्यक्ति  या संस्था विशेष की छवि को धूमिल करता है करता है तो इसे लिखित मानहानि कहा जाता है। 


मानहानि कानून का महत्व


भारत मे मान सम्मान और प्रतिष्ठा हर एक व्यक्ति के लिए सम्पत्ति के रूप में देखा जाता है जो उसके धन और दौलत से भी जाता महत्वपूर्ण होता है। व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए मानहानि कानून का एक महत्वपूर्ण योगदान है जो आज कल हर व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है । जिसके कारण इसका दुरुपयोग राजनीतिक व्यक्तियो और व्यपारियो द्वारा किया जा रहा है। आज कल चलन हो गया है कि एक नेता दूसरे नेता के ऊपर निराधार मानहानि के मामले दर्ज कर रहे है। जो अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने के लिए उपयोग में लिया जा रहा है। मानहानी और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार के बीच मे एक संतुलन का होना जरूरी है।


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