भारत के संविधान की प्रस्तावना क्या है ?
“हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्त्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये तथा इसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिये तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता
तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाली
बंधुता बढ़ाने के लिये
दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई. को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
भारतीय संविधान के प्रस्तावना कहां से लिया गया है?
- प्रस्तावना संविधान के परिचय अथवा भूमिका को कहते हैं भारतीय संविधान की प्रस्तावना पंडित नेहरू द्वारा पेश किये गए ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पर आधारित है। भारतीय प्रस्तावना में कितनी बार संशोधन हुआ है।
- 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा इसमें समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता जैसे शब्दों को सम्मिलित किया गया।
प्रस्तावना में उल्लेखित मुख्य शब्दों के अर्थ:
1. हम भारत के लोग
इस शब्द का उपयोग प्रस्तावना में इसलिए किया गया है कि भारत के लोग ही सरोच्च है भारतीय जनता के पास जो अधिकार है वही संविधान का मूल्य विशेषता है इसका मतलब यह है कि भारतीय संविधान भारत के लोगों के लिए है ।
2. संप्रभुता
संप्रभुता शब्द का मतलब यह है कि भारत किसी पर निर्भर नहीं है ना ही इस पर किसी का दबाव है या अपने निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है।
3. समाजवादी
समाजवादी शब्द का मतलब यह है कि जो भारत के संसाधन है, जमीन है , संपत्ति , सार्वजनिक है और समतुल्य के साथ वितरण होना चाहिए।
4. पंथनिरपेक्ष
पंथनिरपेक्ष शब्द का आशय यह है कि भारत सरकार सभी धर्म को समान मानेगी और सभी धर्म को समान समर्थन प्राप्त होगा।
5. लोकतांत्रिक
संविधान की प्रस्तावना में लोकतांत्रिक शब्द का इस्तेमाल बहुत मुख्य रूप से किया गया है इसका मतलब केवल राजनीतिक लोकतंत्र ही नहीं बल्कि सामाजिक एवं आर्थिक लोकतंत्र भी है जहां पर वयस्क मताधिकार सामाजिक चुनाव कानून की सर्वोच्चता न्यायपालिका की स्वतंत्रता भेदभाव का भाव आज आदि है।
6. गणतंत्र
गणतंत्र शब्द का आशय यह है जीवन आ नहीं होना चाहिए जैसे कि पहले के समय में राजा का बेटा राजा होता था लेकिन गणतंत्र का मतलब यह होता है कि आम जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि वाले व्यक्ति ही राज राजा के रोग में अधीनस्थ हो जो सार्वजनिक कार्यालय हैं बगैर किसी भेदभाव के आम जनता के लिए भी खुले हो ।
7. स्वतंत्रता
इसका तात्पर्य है कि हर एक स्वतंत्र है उसे समान विकास के अवसर मिलने चाहिए न्याय सभी आम जनता को सामाजिक न्याय मिलना चाहिए आर्थिक न्याय मिलना चाहिए राजनैतिक न्याय मिलना चाहिए क्षमता भारतीय संविधान की प्रस्तावना में हर एक व्यक्ति को समान अवसर देने की समान विशेषाधिकार थी और भेदभाव से रहित समाज की बात करता है ।
8. बंधुत्व
इसका मतलब है भाईचारे की भावना प्रस्तावना के अनुसार सुनिश्चित होना चाहिए हर एक व्यक्ति एक दूसरे के लिए भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करें
संविधान कितने लोगों ने मिलकर लिखा था।
संविधान की प्रस्तावना पीडीएफ ।
संविधान की प्रस्तावना से संबंधित प्रश्न
भारतीय संविधान की प्रस्तावना की आलोचना
संविधान की प्रस्तावना को लिखिए भारतीय संविधान की प्रस्तावना का महत्व स्पष्ट कीजिए
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के प्रति भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निहित आधारभूत सिद्धांतों की चर्चा
भारतीय संविधान की प्रस्तावना हिंदी में पीडीएफ डाउनलोड
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें